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जिले में खेतों में नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंध

जिले में जनसामान्य के हित, सार्वजनिक सम्पत्ति, पर्यावरण
एवं लोक व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य से कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री उमाशंकर भार्गव ने सम्पूर्ण जिले में खेतों में खड़े गेहूँ के डंठलों (नरवाई) में आग लगाने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया है। यह प्रतिबंध आगामी दो माह तक जिले की सम्पूर्ण राजस्व सीमा में प्रभावशील रहेगा। इस आदेश का उल्लंघन भादवि की धारा 188 के अंतर्गत दण्डनीय होगा।
   उल्लेखनीय है कि गेहूँ की फसल की कटाई के पश्चात अगली फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए किसानों द्वारा अपनी सुविधा हेतु खेत में नरवाई में आग लगाकर खेत साफ किया जाता है। नरवाई में आग लगाना खेती के लिए नुकसानदायक होने के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक है। इसके कारण विगत वर्षो में गंभीर अग्नि दुर्घटनाएं घटित हुई हैं तथा व्यापक सम्पत्ति की हानि हुई है। खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जनसम्पत्ति व प्राकृतिक वनस्पति, जीव-जन्तु आदि नष्ट हो जाते हैं। साथ ही खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्य जीवाणु इससे नष्ट होते हैं जिससे खेत की उर्वरा शक्ति भी धीरे-धीरे घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। नरवाई जलाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। यदि फसल अवशेषों, नरवाई को एकत्र कर जैविक खाद जैसे भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए तो यह बहुत जल्दी सड़कर पोषक तत्वों से भरपूर खाद बना सकते है। इसके अतिरिक्त खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो की सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश के रूप में बचत की जा सकती है। 
जिले में खेतों में नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंध Reviewed by Editor :- Abdul Hafeez on 4:06 am Rating: 5

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